विश्वविद्यालय परीक्षा न्यूज़:-
विश्वविद्यालयों की अंतिम वर्ष की परीक्षाओं को रद्द करने को लेकर छात्रों की ओर से चलाए जा रहे अभियान और कुछ राज्यों के रुख के बाद यूजीसी की तरफ से तीखा प्रतिक्रिया आ रहा है|
करोना जैसे महामारी के बीच क्या पेपर कराना उचित है, घर से दूर पढ़ाई करने के लिए बच्चे विश्वविद्यालय, कॉलेज, व अन्य संस्थाओं पर गए परंतु सभी बच्चे lock-down के कारण वह आप वापस गांव घर की तरफ वापस लौट आए|अगर बच्चे अब गांव से शहर की तरफ जाते हैं तो उन्हें तमाम कठिनाइयों के साथ लड़ना पड़ेगा, लॉकडाउन के कारण लोगों की आर्थिक स्थिति भी कमजोर हो चुकी है|साथ ही साथ बच्चों को यह भी टेंशन सता रहा है कि कब पेपर होंगे अगर सरकार सितंबर में पेपर को कर आता भी है तो परीक्षा परिणाम आते आते नवंबर लास्ट आ जाएगा|तब बच्चे कैसे नए सत्र में एडमिशन लेंगे, बच्चे कैसे जॉब के लिए फॉर्म डालेंगे, यदि कोई भाई जॉब के लिए सिलेक्शन के लिए लास्ट डिग्री की आवश्यकता के कारण तो क्या होगा|
देखा जाए तो देश के लगभग सभी बच्चे , अभिभावक, अध्यापक गण सभी चाहते हैं कि इस करोना महावारी के बीच बच्चों को प्रमोट कर दिया जाए|इसी बीच में कई राजनीतिक पार्टियों के बड़े नेता जिसे राहुल गांधी जी का भी मानना है कि इस स्थिति में बच्चों को प्रमोट करना ही उचित है, साथ में दिल्ली के शिक्षा मंत्री और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जी का भी यही मानना है|और हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा तनेजा कमेटी का गठन हुआ जिसमें यही नतीजा आया कि बच्चों को प्रमोट किया जाए, पर यूजीसी के निर्णय से बच्चों में असमजकता पैदा कर दिया है, बच्चों का मानना है कि क्या प्रथम वर्ष, द्वितीय वर्ष, को प्रमोट करने से उनके डिग्री पर कोई आंच नहीं आएगा, जबकि लास्ट ईयर के बच्चे पिछले 2 सालों में पास होने के कारण ही अगले क्लास में प्रमोट हुआ वह तो 2 साल परीक्षा भी दे चुके हैं फिर प्रमोट करने में क्या दिक्कत है इस पर देश के माननीय प्रधानमंत्री जी अमित शाह जी भी अपना विचार क्यों नहीं रखते हैं|