बिरसा मुंडा आंदोलन क्या है जाने
बिरसा मुंडा आंदोलन :-बिरसा मुंडा आंदोलन जनजातीय आंदोलन में महत्वपूर्ण स्थान रखता है|छोटा नागपुर की मुंडा जनजातियों में अंग्रेजो के खिलाफ स्वराज्य के लिए 1890 में आंदोलन प्रारंभ किया था छोटा नागपुर की मुंडा जनजाति अपने जीविकोपार्जन के लिए और अपने अस्तित्व को बचाने के लिए खेत खलिहान में बेजान अंग्रेजी घोड़ों की मां तथा जमीदारों और ठाकुरों द्वारा महिलाओं की शारीरिक शोषण से पूछ रही थी इसी समय सन 894 में यहां पर भयानक अकाल पड़ने से अनाज की कमी के कारण इनका जीवन यापन करना मुश्किल हो गया क्योंकि लगान और करों में छूट की मांग करने पर जमीदारों और अंग्रेजों के अत्याचार में वृद्धि हो गई मुंडा किसानों के समय पर मालगुजारी ना देने पर उनके साथ मारपीट और मुंडा महिलाओं का दैहिक शोषण किया जाता था 23 अगस्त 1895 को मालगुजारी वसूल करने आए सिपाहियों ने मुंडा जनजाति के घरों में घुसकर जब उनके बर्तन और गहने छीन ले तो महिलाओं ने उनका विरोध किया इसी बीच पुलिस का हैंड सिपाही जब एक महिला के साथ जबरदस्ती करने की कोशिश कर रहा था तो बिरसा नाम की एक मुंडा जनजाति के नव युवक ने कुल्हाड़ी से उसकी हत्या कर दी मुंडा जनजाति के आंदोलन का यह प्रथम हिंसात्मक विरोध था 26 अगस्त को बिरसा वापस छोटा नागपुर पहुंचा तब तक मुंडा में बिरसा के प्रति श्रद्धा और अंग्रेजो के प्रति घृणा की भावना फैल चुकी थी|
छोटा नागपुर में बिरसा सेवा दल का गठन करके 5000 आदिवासियों के साथ छोटा नागपुर में अंग्रेजो के खिलाफ सामूहिक बगावत नारा बुलंद हुआ 11 अगस्त 2897 में कुटी क्षेत्र में एकथाने में मुंडा ओं की दल में लगभग 200 सिपाहियों को मारकर जंगलों में छिपाने की साथ ही जंगल राजा की घोषणा कर दी 24 दिसंबर 18 से 99 को विदिशा के नेतृत्व में राज्य पर धावा बोला गया अंग्रेज सरकार ने मुंडा को सबक सिखाने के लिए "डमरी" मैं सामूहिक हत्याओं तथा बलात्कारों का सिलसिला शुरू कर दिया|औरतों बच्चों और बुड्ढों का नरसंहार हुआ जिससे युवा मुंडा निपुण जंगलों में छिपकर गुरिल्ला युद्ध के माध्यम से अंग्रेजों से लड़ाई की 2899 में बिरसा मुंडा को सहयोगी अंग्रेजों का शिकार हुआ और 3 जनवरी उन्नीस सौ को पुनः बरसा को गिरफ्तार कर लिया गया 9 जून 1900 को हजारीबाग की जेल में ही बिरसा मुंडा का देहांत हो गया|
बिरसा मुंडा नाम का यह जनजाति आंदोलन प्रमाणित करता है कि जनजातीय समाज शोषण दबाव अत्याचार और स्वाभिमान के प्रति अत्यंत ही संवेदनशील समाज है और उनके स्वभाव इमान के लिए बिरसा मुंडा ने इस आंदोलन के द्वारा बेटी सरकार को बुरी तरह परेशान किया|