नातेदारी व्यवस्था :-
नातेदारी अन्य संस्थाओं के समान एक प्रमुख सामाजिक संस्था है जो एक समूह में व्यक्तियों के व्यवहारों को नियंत्रित करती है तथा अन्य व्यक्तियों की तुलना मेंएक व्यक्ति के अधिकारों और कर्तव्यों का निर्धारण करती है विभिन्न क्षेत्रों में नातेदारी के सामाजिक महत्व और उसकी उपयोगिता को निम्न स्वरूपों से समझा जा सकता है|
1-सर प्रथम निषिद्ध तथा मान्यता प्राप्तसंबंधों की प्रकृति को स्पष्ट करना नातेदारी व्यवस्था का कार्य है जनजातीय समाज आज भी इतना सरल है कि सभी तरह के संबंधों को व्यवस्थित करने के लिए कोई निश्चित नियम नहीं बनाए जा सकते इस दशा में नातेदारी रितियों के द्वारा ही हम स्पष्ट किया जाता है कि एक व्यक्ति के संबंध अन्य व्यक्तियों से किस प्रकार के होने वाला व्यक्ति को विवाह और उत्तराधिकार जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर किस प्रकार व्यवहार करना आवश्यक है ब्राउन का कहना है कि नातेदारी व्यवस्था का मुख्य कार्य विवाह तथा परिवार के रूप को व्यवस्थित बनाना है|
2- सरल समाजों में आज भी व्यक्ति की स्थिति का निर्धारण बहुत कुछ उसके वंश की प्रतिष्ठा और शक्ति के आधार पर होता है नातेदारी की सहायता से न केवल एक वंश के इतिहास को समझा जा सकता है बल्कि नातेदारी की व्यवस्था के आधार पर ही एक विशेष मंच व्याकुल किस शक्ति का भी मूल्यांकन किया जाता है|
3- नातेदारी इस समूह में व्यक्तियों का समाज के बीमा है जब कभी भी कोई व्यक्ति संकट में होता है तो नातेदारी के द्वारा ही उसे सभी प्रकार की सुरक्षा और सुविधा प्रदान की जाती हैं|
इसके अतिरिक्त सामाजिक और धार्मिक समारोह हूं के अवसर पर नातेदारी के संदर्भ में ही व्यक्ति का मनोवैज्ञानिक संतुष्टि से ही व्यक्ति मनोवैज्ञानिक संतुष्टि का अनुभव करता है|
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