shramik aandolan ke rajnitikaran
1. क्रांतिकारी सिद्धांत:-
इस सिद्धांत की पुष्टि समाजशास्त्री कार्ल मार्क्स और फ्रेडिक येजिल के विचारों से होती है|कार्ल मार्क्स ने अपनी वर्ग संघर्ष के सिद्धांत स्पष्ट किया है कि समाज में पूंजीवाद के कारण ही पूंजीपति और श्रमिकों के बीच संघर्ष हुआ|Karl Marx aur Angel आदि क्रांतिकारी विचार को की मान्यता है कि औद्योगिकरण की शुरुआत के पश्चात वर्तमान सामाजिक व्यवस्था में परिवर्तन लाने एवं श्रमिकों के शोषण को समाप्त करने के लिए क्रांति आवश्यक है और यह क्रांति तभी आ सकती हैं जब श्रमिक वर्ग संगठित होकर आंदोलन करें इंग्लैंड और अमेरिका जैसे औद्योगिक देशों में यादव क्रांतिकारी रूप में श्रमिक आंदोलन का व्यापक प्रभाव नहीं हो सकता लेकिन 9 विकसित राष्ट्रों में होने वाले श्रमिक आंदोलन ने वहां की अर्थव्यवस्था को एक बड़ी सीमा तक प्रभावित किया|
1. क्रांतिकारी सिद्धांत:-
इस सिद्धांत की पुष्टि समाजशास्त्री कार्ल मार्क्स और फ्रेडिक येजिल के विचारों से होती है|कार्ल मार्क्स ने अपनी वर्ग संघर्ष के सिद्धांत स्पष्ट किया है कि समाज में पूंजीवाद के कारण ही पूंजीपति और श्रमिकों के बीच संघर्ष हुआ|Karl Marx aur Angel आदि क्रांतिकारी विचार को की मान्यता है कि औद्योगिकरण की शुरुआत के पश्चात वर्तमान सामाजिक व्यवस्था में परिवर्तन लाने एवं श्रमिकों के शोषण को समाप्त करने के लिए क्रांति आवश्यक है और यह क्रांति तभी आ सकती हैं जब श्रमिक वर्ग संगठित होकर आंदोलन करें इंग्लैंड और अमेरिका जैसे औद्योगिक देशों में यादव क्रांतिकारी रूप में श्रमिक आंदोलन का व्यापक प्रभाव नहीं हो सकता लेकिन 9 विकसित राष्ट्रों में होने वाले श्रमिक आंदोलन ने वहां की अर्थव्यवस्था को एक बड़ी सीमा तक प्रभावित किया|
2-औधोगिक लोकतंत्र का सिद्धांत:-इस सिद्धांत के प्रवर्तक सिडनी एवं विय टि स वेब है|इस सिद्धांत का मान्यता है कि समाज में सुमित वर्गीय किस संगठित होकर राजनीतिक और आर्थिक स्थिति प्राप्त करने में सफल होते हैं समाज में श्रमिक की राजनीतिक और आर्थिक शब्द पढ़ने से ही हुए लोकतांत्रिक रूप से संगठित और सुदृढ़ हो जाते हैं श्रमिकों की लोकतांत्रिक शक्ति के कारण ही श्रमिक आंदोलन श्रमिक की समस्याओं के साधन में सफल हो पाता है इस सिद्धांत का यह मानना है कि ब्रिटेन के समिक संग हो और भारत की वामपंथी पार्टियों ने लोकतांत्रिक आधार पर ही श्रमिक आंदोलन को सफल बनाया है|
3 व्यवसायिक सिद्धांत:-इस सिद्धांत के समर्थकों के अनुशासन श्रमिकों संग समाज में शक्ति के संतुलन का एक साधन है समाज में सत्य के संतुलन का एक साधक है समाज में दिन प्रतिदिन बढ़ते औद्योगीकरण के कारण सड़कों की संख्या में भी निरंतर देती हो रही है अतः बढ़ती हुई समिति संख्या के कारण श्रमिक आंदोलन अधिक सशक्त होते जा रहे हैं सब ने अपनी मांग फिल्म शोषण के खिलाफ आवाज श्रमिक आंदोलन के द्वारा ही रास्ता है समाज में शरण को की बढ़ती हुई क्षति के आधार पर ही श्रमिक वर्ग आज लोकतांत्रिक आधार पर संगठित होकर और इसी लिए समाज में श्रमिक अपना प्रभुत्व पढ़ाने की दृष्टि से श्रमिक संगठनों की सदस्यता ग्रहण करते हैं अमेरिका में श्रमिक का एक प्रमुख संगठन ❤️ अमेरिकन फाउंडेशन ऑफ लेबर❤️ सिद्धांत का प्रमुख उदाहरण है
4- सामाजिक मनोवैज्ञानिक सिद्धांत:- इस सिद्धांत के समर्थकों की मान्यता है की श्रमिक संघ के माध्यम से श्रमिक आंदोलन किया जाते हैं जिसका मुख्य उद्देश्य को किस सामाजिक और मानसिक सुरक्षा प्रदान करना होता है श्रमिक संघ के माध्यम से सन में एकत्रित होकर अपनी समस्याओं के बारे में विचारों का आदान प्रदान करके शोषण के खिलाफ आवाज उठाते हैं इसके द्वारा किए जाने वाले आंदोलन उन्हें भावनात्मक रूप से जोड़ते हैं तथा उनके नेतृत्व की क्षमता पैदा करते हैं|
5-आधुनिक सिद्धांत:- इस सिद्धांत के अनुसार इसका प्रमुख कार्य श्रमिकों को संगठित करके उन्हें शोषण से मुक्ति दिलाना है सुमित आंदोलन के आधुनिक सिद्धांत के समर्थक पर्ल मैनके अनुसार श्रमिक द्वारा किसी भी आंदोलन में भाग लेने के दो प्रमुख कारण होते हैं -
¹- पूंजीपति सेवा योजनाओं को श्रमिक की पूजी पद सेवा योजन को श्रमिक संगठन की शक्ति से परिचित कराना तथा
²- समाज में राजनीति क्यों बुद्धिजीवी को द्वारा किए गए कार्यवाही ओं को श्रमिक आंदोलन के द्वारा नियंत्रित करते हुए अपने अस्तित्व से परिचित कराना|आंदोलन के माध्यम से श्रमिकों के संगठन होने के इन कारणों से स्पष्ट होता है कि समाज में श्रमिक एवं प्रमुख इकाई है और समित विविन आंदोलन द्वारा यह स्पष्ट करते हैं कि श्रमिक समाज के प्रमुख घटक हैं अतः उन्हें शिव आयोजक वर्ग के द्वारा नियोजित सुविधाएं प्राप्त करने का मानव वंचित और सामाजिक अधिकार है|